शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

पारायण विधि तथा फल-श्रुति

 

श्रीपाद राजं शरण प्रपद्ये

 

श्रीपाद श्रीवल्लभ चरित्रामृत की पारायण विधि  

 

प्रथम दिन  --- अध्याय – ०१ से ०६

द्वितीय दिन----अध्याय - ०७ से १२

तृतीय दिन ----- अध्याय १३ से १८

चतुर्थ दिन ----अध्याय १८ से २२

पंचम दिन ---- अध्याय २३ से ३४

षष्ठम दिन ----अध्याय ३५ से ४२

सप्तम दिन ----४३ से ५३ 


 

 

श्रीपाद राजं शरण प्रपद्ये

“श्रीपाद श्रीवल्लभ चरित्रामृत”  - प्रत्येक अध्याय के पठन का फल

अध्याय                                पठन का फल

  1. .घर में सुख शान्ति का वास
  2. मन: कलेश निवारण
  3. नाग दोष निवारण, संतान-प्रतिबंधक दोष निवारण
  4. लड़कियों को योग्य वर की प्राप्ति, गुरुनिंदा-दोष निवारण
  5. विघ्न बाधा निवारण
  6. पितृ शाप से मुक्ति
  7. अज्ञान-हरण, विवेक की प्राप्ति
  8. संतान प्राप्ति, लक्ष्मी कृपा कटाक्ष प्राप्ति
  9. प्रारब्ध कर्म नाश
  10. दुर्भाग्य का नाश
  11. दुर्गुणों से मुक्ति
  12. शरीर आरोग्य की प्राप्ति
  13. व्यवसाय वृद्धि, पशुधन वृद्धि
  14. आपदा निवारण, उत्साह वृद्धि
  15. अकारण कलह का निवारण, पूर्व जन्म कृत दोष निवारण  
  16.  अनाकर्षण शक्ति वृद्धि
  17. सिद्ध पुरुषों के आशीर्वाद
  18. पाप कर्मों का नाश, भाग्य वृद्धि
  19. मानसिक क्लेश निवारण
  20. कष्ट-नष्ट निवारण
  21. अध्यात्मिक लाभ, पुण्य वृद्धि
  22. कर्म-दोष निवारण
  23. ऐश्वर्य प्राप्ति
  24. दांपत्य सुख
  25. आर्थिक समस्या का निराकरण
  26. दुर्दैव नाश, सत्संतान प्राप्ति
  27. ऐश्वर्य लक्ष्मी प्राप्ति
  28. अनुकूल एवं शीघ्र विवाह
  29. पितृ देवताओं का आशीर्वाद
  30. उज्वल भविष्य की प्राप्ति
  31. विद्या एवम् ऐश्वर्य की प्राप्ति
  32. सद्गुरु कृपा कटाक्ष की प्राप्ति
  33. अनुकूल विवाह हेतु
  34. ऋणमोचन हेतु
  35. वाक्सिद्धि हेतु
  36. अनुकूल दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति
  37. जीवन में स्थैर्य की प्राप्ति
  38. आत्म स्थैर्य की प्राप्ति
  39. सर्प दोष निवारण
  40. असाध्य कार्य में यश की प्राप्ति
  41. लोक निंदा परिहार के लिए
  42. खो गया बच्चा प्राप्त होने के लिए
  43. अष्टैश्वर्य प्राप्ति हेतु
  44. उज्वल भविष्य की प्राप्ति हेतु
  45. सभी क्षेत्रों में उन्नति हेतु
  46. त्वरित विवाह हेतु
  47. सर्व शुभफल प्राप्ति हेतु
  48. आर्त, अर्थार्थी, मुमुक्षु जनों को चारों पुरुषार्थों की सिद्धि के लिए
  49. समस्त कर्म दोषों से मुक्ति
  50. गुरुनिंदा से प्राप्त दारिद्र्य निराकरण
  51. जलगंड आदि से निराकरण
  52. सब समस्याओं के बिना प्रयत्न निवारण के लिए
  53. महापाप नाश हेतु

 

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