श्रीपाद
राजं शरण प्रपद्ये
श्रीपाद
श्रीवल्लभ चरित्रामृत की पारायण विधि
प्रथम दिन
--- अध्याय – ०१ से ०६
द्वितीय दिन----अध्याय - ०७ से १२
तृतीय दिन ----- अध्याय १३ से १८
चतुर्थ दिन ----अध्याय १८ से २२
पंचम दिन ---- अध्याय २३ से ३४
षष्ठम दिन ----अध्याय ३५ से ४२
सप्तम दिन ----४३ से ५३
श्रीपाद
राजं शरण प्रपद्ये
“श्रीपाद श्रीवल्लभ चरित्रामृत” - प्रत्येक अध्याय के पठन का फल
अध्याय पठन का फल
- .घर में
सुख शान्ति का वास
- मन: कलेश निवारण
- नाग दोष
निवारण, संतान-प्रतिबंधक
दोष निवारण
- लड़कियों को
योग्य वर की प्राप्ति,
गुरुनिंदा-दोष निवारण
- विघ्न बाधा
निवारण
- पितृ शाप से
मुक्ति
- अज्ञान-हरण,
विवेक की प्राप्ति
- संतान
प्राप्ति, लक्ष्मी कृपा
कटाक्ष प्राप्ति
- प्रारब्ध कर्म
नाश
- दुर्भाग्य का
नाश
- दुर्गुणों से
मुक्ति
- शरीर आरोग्य
की प्राप्ति
- व्यवसाय
वृद्धि, पशुधन वृद्धि
- आपदा निवारण,
उत्साह वृद्धि
- अकारण कलह का
निवारण, पूर्व जन्म कृत दोष निवारण
- अनाकर्षण शक्ति वृद्धि
- सिद्ध पुरुषों
के आशीर्वाद
- पाप कर्मों का
नाश, भाग्य वृद्धि
- मानसिक क्लेश निवारण
- कष्ट-नष्ट
निवारण
- अध्यात्मिक
लाभ, पुण्य वृद्धि
- कर्म-दोष
निवारण
- ऐश्वर्य
प्राप्ति
- दांपत्य सुख
- आर्थिक समस्या
का निराकरण
- दुर्दैव नाश, सत्संतान प्राप्ति
- ऐश्वर्य लक्ष्मी
प्राप्ति
- अनुकूल एवं
शीघ्र विवाह
- पितृ देवताओं
का आशीर्वाद
- उज्वल भविष्य
की प्राप्ति
- विद्या एवम्
ऐश्वर्य की प्राप्ति
- सद्गुरु कृपा कटाक्ष
की प्राप्ति
- अनुकूल विवाह
हेतु
- ऋणमोचन हेतु
- वाक्सिद्धि
हेतु
- अनुकूल
दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति
- जीवन में
स्थैर्य की प्राप्ति
- आत्म स्थैर्य
की प्राप्ति
- सर्प दोष
निवारण
- असाध्य कार्य
में यश की प्राप्ति
- लोक निंदा
परिहार के लिए
- खो गया बच्चा
प्राप्त होने के लिए
- अष्टैश्वर्य प्राप्ति
हेतु
- उज्वल भविष्य
की प्राप्ति हेतु
- सभी क्षेत्रों
में उन्नति हेतु
- त्वरित विवाह
हेतु
- सर्व शुभफल
प्राप्ति हेतु
- आर्त, अर्थार्थी,
मुमुक्षु जनों को चारों पुरुषार्थों की सिद्धि के लिए
- समस्त
कर्म दोषों से मुक्ति
- गुरुनिंदा
से प्राप्त दारिद्र्य निराकरण
- जलगंड
आदि से निराकरण
- सब
समस्याओं के बिना प्रयत्न निवारण के लिए
- महापाप
नाश हेतु
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