।। श्रीपाद
राजं शरणं प्रपद्ये।।
अध्याय
– ५२
शंकर भट्ट का योगानुभव का निरूपण
श्रीपाद प्रभु के दिव्य दर्शन
मैं लगातार तीन वर्षों
तक हर रोज़ मध्यरात्री के समय श्रीपाद प्रभु के दिव्य तेजोमय दर्शनों का लाभ प्राप्त करता रहा. मैंने योग की अनुभूतियाँ
एक पुस्तक के रूप में लिखीं. वह पुस्तक हिमालय से एक योगी आकर ले गए. यह श्रीपाद
प्रभु की ही इच्छा होगी, ऐसा मेरा विश्वास है. उनकी आज्ञा से ही यह घटित हुआ इसमें तिलमात्र भी
संदेह नहीं.
।। श्रीपाद
श्रीवल्लभ प्रभु की जय जयकार हो।।
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